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August 1990

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परमेश्वर का पहला अनुग्रह मनुष्य जन्म है और दूसरा भावना की दृष्टि से मनुष्य बनना।

जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते है, जो सोचते है, पर करते नहीं। दूसरे वे जो करते तो है, पर सोचते नहीं।

जीवन एक संग्राम है। इसमें वही विजयी होता है, जो हर परिस्थिति का सामना करने के लिए सीना तान कर खड़ा होता है।

मोक्ष अकेले हथियाने की वस्तु नहीं है।” “मोक्ष हम सब को,” यही वाक्य शुद्ध है। सब के मोक्ष का प्रयत्न करने में अपना मोक्ष भी सम्मिलित है।


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