Quotation

August 1990

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अन्धड़ का झोंका खोखले पेड़ों को उखाड़ता है किन्तु पर्वत से टकरा कर अपना वेग ही खो बैठता है।

व्यसन के निकट जाओ तो ललचाते हैं। अपनाओ तो जकड़ लेते है फिर नागपाश बनते है, और फिर प्राण ले कर ही छोड़ते है।

तत्वज्ञानी की वाणी कामधेनु है। वह श्रोताओं को प्रगति प्रदान समस्याओं को सुलझाती है शत्रुता को मित्रता में बदलती है।


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