मितव्ययिता का कठोरतापूर्वक पालन (Kahani)

August 1990

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

गुरुदेव के छोटे सुपुत्र की शादी होने वाली थी। उन दिनों वह अपने घीया-मण्डी वाले मकान में थे। रिश्तेदारों सगे संबंधियों की जमा भीड़ में प्रायः सभी का मत था- कि मकान की साज सज्जा शादी विवाह के घर के अनुरूप हो। इस तरह लगता नहीं कि यहाँ किसी की शादी होने वाली है। एक सज्जन जो उनके थोड़ा मुँह लगे थे पीछे ही पड़ गये।

सब का आग्रह देख उन्होंने पास खड़े एक स्वयं सेवक को बुलाया और कहा बिजली वाले को थोड़ी झालर आदि लगा जाने को बोल आओ और देखा ध्यान रखना पैसा कम से कम खर्च हो। स्वयं सेवक जब लौटकर आया तो पूछा-कितने पैसे की बात हुई? उसके मुख से पचास रुपये की बात सुनकर चकित होते हुए बोले पचास। दूसरे दिन सुबह ही उसे फिर बुलाया और कहा सुनी बिजली वाले को जाकर मना कर आना। कारण पूछने पर बोले मैं इतने रुपये की बर्बादी कैसे सहन कर सकता हूँ, वह तो मैंने सभी के आग्रहवश कह दिया था। अब स्वयं सेवक के चकित होने की बारी थी।

अपने निजी जीवन में मितव्ययिता का कठोरतापूर्वक पालन तो महापुरुषों का दैवी सद्गुण है। बिजली वाले की मना कर दिया गया सिद्धान्त के आचरण के साथ मिलकर शादी वाले इस घर को अतुलित सज्जा प्रदान की।

शांतिकुंज आश्रम के शुरू के दिनों की बात है, उन दिनों आर्य समाज के प्रसिद्ध संत महात्मा आनन्द स्वामी सरस्वती जी जीवित थे। हरिद्वार आने पर वह शाँतिकुँज अवश्य पधारते। गुरुदेव को यदि उनके आने की खबर मिलती तो प्रेम भरे आग्रह के साथ बुलाने से न चूकते। व्यास आश्रम में उनके ठहरने की बात सुनकर गुरुजी ने एक कार्यकर्ता को उन्हें बुलाने के लिए भेजा।

जैसे ही वह उक्त आश्रम के दरवाजे पर पहुँचा। उनके कानों में कुछ शब्द पड़े। महात्मा आनंद स्वामी पास बैठे लोगों से चर्चा कर रहे थे-देश, व्यक्ति और समाज के कल्याण का दिन-रात अखण्ड ध्यान करने वाला कोई है तो एक आचार्य श्रीराम शर्मा। इतना कहकर वह एक क्षण ठहरे, फिर कहने लगे मैं निश्चय पूर्वक कह सकता हूँ कि इस क्षण भी वह देश, व्यक्ति, समाज के उत्थान की चर्चा कर रहे होंगे।

तब तक पास आ खड़े हुए कार्यकर्ता को देखकर ठहाका लगाते हुए बोले-”अरे तुम आ गए, मैं आचार्य जी की ही चर्चा कर रहा था।” कार्यकर्ता इस संत के उद्गार सुन गदगद था।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118