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August 1990

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आप दुनिया में सबसे महान् पुरुष है। पर एक ही दुर्गुण उसे ढके हुए है,

वह दुर्गुण है- सद्गुणों को व्यवहार में न लाना।

वीरों का मन न वज्र से टूटता है और न प्रलोभन की कीचड़ से फिसलता है।

जिसका अहंकार जितना बढ़ा-चढ़ा है। वह वस्तुतः उतना ही छोटा और अनाड़ी है।

जीवन रूपी परिधि के केन्द्र हैं विचार। केन्द्र की तनिक सी हलचल समूची परिधि को प्रभावित करती है और जब परिधि को पूर्णतया बदल डालना अनिवार्य लगने लगा हो, तब जरूरी है केन्द्र में व्यापक फेर बदल की जाय। इसी आधार पर विचार क्राँति का प्रवर्तन करने वाले पू. गुरुदेव ने अपने वार्तालाप में इसी वर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में सामने बैठे हुए कार्यकर्ताओं को इसकी समर्थता बताते हुए कहा था-”तुम लोग विचार क्राँति को मजाक मत समझना। मेरी विचार क्राँति के बीज जिस दिन फूटेंगे, धमाका कर देंगे।” अगले दिनों इसी धमाके और उससे होने वाले व्यापक परिवर्तन का समूचा विश्व साक्षी होने जा रहा है।


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