नासमझ रिवाज के समर्थन में तर्क करते है। बुद्धिमान तर्क संगत को रिवाज बनाने का प्रयत्न करते है।
यश अपयश मरण के उपरान्त भी सुगंध दुर्गंध की तरह चिरकाल तक बना रहता है। वस्तुतः यही मनुष्य का बहुमूल्य उपार्जन है।
उपयोगी साहित्य पढ़ने से अधिक चिरस्थायी और उपयोगी दूसरा मनोरंजन कोई है नहीं।