सत्य अकेला नहीं प्रेम और न्याय को भी साथ लेकर चलता है। इसी प्रकार असत्य के साथ पतन और विग्रह के सहचरों की जोड़ी चलती है।
सभ्यता चरित्र का वह स्वरूप है जो मनुष्य कर्तव्य का मार्ग दर्शाती है।
सत्य में हजार हाथियों के समान बल होता है इसलिए अन्तिम विजय उसी की होती है, चाहे संघर्ष कितना ही लंबा क्यों न चले।