परम पूज्य आचार्य श्री, श्रीराम शर्मा जी की कुण्डली

August 1990

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पं. कन्हैया लाल दुबे ज्योतिषी भक्त गरीब दास महादेव द्वारा अध्ययन प्रस्तुत किया गया जिसे श्री पुरुषोत्तम राव गरुड़ ने लिपिबद्ध किया दिना पूज्यवर का जन्मागम -

जन्म दिनाँक 20-9-1911 दिन गुरुवार समय प्रातः 8 से 1 के मध्य आश्विन 13 सम्वत् 1968, जन्म सामान्य स्थिति में। बचपन साधारण रहा, 24 से 32 के मध्य द्वितीय विवाह। 42 की अवस्था में चमत्कारिक व्यक्तित्व का परिचय प्रारम्भ 14 वर्ष के आसपास महान पुरुषों का सत्संग एवं दर्शन। 7 वर्ष की अवस्था से ही महिमावान बालक के रूप में माने जाने लगें।

साक्षात् भगवान के अवतार रूप। ईश्वर अंश आशीर्वाद दैवी शक्ति सम्पन्न होने का योग इस जातक को है। जिस कार्य को पूर्ण करने का प्रयास किया जा रहा है वह पूर्णतया सफल होकर रहेगा। अंशावतारी महत्पुरुष, जन्म लग्न का स्वामी चन्द्र, शुक्र और बुद्ध से युक्त है। इस कारण महान पुरुष-यह जातक होना चाहिए। तंत्र, मंत्र, जंत्र का विशेषज्ञ, शुक्र की उद्भूत शक्ति इन्हें प्राप्त है।

विश्व गुरु योग

विश्व योगी योग

विश्व सम्राट योग

अभी 72 वर्ष के आसपास की अवस्था होनी चाहिए। 80 वर्ष की आयु में विश्व, पूज्य महान तपस्वी के रूप में विख्यात आयु के बंधन से मुक्त। स्वेच्छा जीवी महापुरुष हैं। ऐसे ग्रह योग वाले जातक अमर योग के धनी होते हैं सप्तम शनि अपने चौथे घर को पूर्ण दृष्टि से देखता है। अतएव इनके विरोधी नहीं रहेंगे। सभी मित्र हो जावेंगे। नास्तिक से नास्तिक मन वाला व्यक्ति भी प्रभावित हो जावेगा।

ये विश्व पिता कहे जावेंगे। विश्व सत्ता इनके कदमों के नीचे पड़ी रहेगी इनकी सामान्य मृत्यु नहीं हो सकती। विचारों का संदेश प्रदान कर ये ब्रह्मलीन हो जावेंगे। स्वेच्छा से ईश्वर लीन होंगे। वर्तमान में इनकी अर्द्धांगिनी (माताजी) के चरणारविन्द में इतनी शक्ति है कि किसी स्त्री के खोटे ग्रहों की शाँति उनके चरण स्पर्श से एवं चरणामृत पान से हो जावेगी। यहाँ तक कि चरणामृत से खोटे ग्रहों के कारण लगने वाला वैधव्य योग भी कट जावेगा। आप साक्षात देवी हैं। अमर योग के धनी हैं। प्रथम पत्नी का मारकेश था। दूसरी पत्नी अमर योग वाली है। ब्रह्म के विधान से दो पत्नी योग बना।

इस जातक के पास संजीवनी शक्ति है। व्यक्ति को जीवित करने की ताकत इन्हें प्राप्त है। ये किसी भी व्यक्ति का कायाकल्प कर सकते हैं। शरीर के रोग को दूर कर सकते हैं। अंधे को नेत्र ज्योति। बहरे को श्रवण शक्ति दे सकते हैं। ब्रह्मा, विष्णु महेश की समस्त शक्तियाँ इनके शरीर में विद्यमान हैं। इनके कार्य इन्हें त्रैलोक्य में अमर करने के लिए पर्याप्त हैं। इनके चरण धूलि से हीरा भी छोटा है। शुक्र, बुध, चन्द्र और तुला के गुरु, के कारण यह सब है।

सन्तान पक्ष दो लड़के दो लड़कियाँ। सभी योग्य होंगे। एक लड़का त्यागी होगा कर्मनिष्ठ भाग्यशाली स्वभाव से खरे विद्यावान कर्मण्य सभी सन्तान होंगी। धनेश मंगल अष्टम है। संस्थागत सम्पत्ति होगी और बहुत बड़ी होगी। वर्तमान समय में सिंह राशि पर छाया होने से 21.9.82 तक साढ़ेसाती शनि का प्रभाव रहेगा। 23 जुलाई 1982 तक मंगल शनि से युक्त है। इस कारण मन में मलीनता के भाव उठ सकते हैं। ग्रह भाव का प्रभाव भी योगी पुरुष पर केवल छाया डालकर कट जाता है। उदर विकार 17 वर्ष से 27 वर्ष तक रहा होगा किन्तु खान-पान समय के प्रभाव से ठीक हो गया। सूर्य 12 वें में होने के कारण आँखों में कमजोरी चश्मे का प्रयोग किया जावेगा।

कर्मकांडी विवेकी योग बल एवं तपोबल सम्पन्न होने के कारण यह जातक स्वस्थ हैं अन्यथा रोग ग्रस्त हो जाता। चन्द्रमा, बुद्ध शुक्र गुरु ये चारों ग्रह इस जातक के लिए वरदान स्वरूप हैं। इनका प्रभाव इन्हें देवाँशी पुरुष बना देता है। नवम्बर 1982 आकस्मिक धन लाभ, पराक्रम श्रेष्ठ, प्रवास एवं स्थान, वृद्धि, मित्र समागम योग बनाता है विशेष सम्मान प्राप्त योग है।

सन् 1983 वर्ष आनंददायी, अर्थ लाभकारी स्थान वृद्धि सूचक मान सम्मान प्रतिष्ठा वृद्धिकारक वैभव सम्पन्न योग बनाता है।

सन् 1984 अत्यन्त श्रेष्ठ वर्ष सन् 1988 से 1996 के बीच सारे संसार में शत प्रतिशत कार्य सम्पन्न हो जावेगा।

सारे संसार के लोग इनके अनुयायी होने लग जावेंगे। सारे संसार में इनके नाम का डंका बज जावेगा। विश्व योगी विश्व पिता विश्व सम्राट के रूप में पूज्य हो जावेंगे।

ईश्वर तुल्य साक्षात ईश्वर। सन् 1991-1992 से किसी फलादेश का पता नहीं चलता। अज्ञात वास योग प्रारंभ हो सकता है। अदृश्य होकर भी विश्व को प्रकाशित करते रहेंगे। आत्म चेतना को ब्रह्म चेतना में अपनी स्वेच्छा से लीन करने का सामर्थ्य प्रदर्शित करके शाँत ज्योति स्वरूप रहेंगे।


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