दीर्घ जीवन वर्षों के आधार पर नहीं उसमें ड़ड़ड़ड़ पड़े महत्वपूर्ण कार्यों के आधार पर आँका जाना चाहिए।
सार्थकता उसी शिक्षा की है जो छात्र को विनम्र सुव्यवस्थित और आदर्शवादी बना सके।