विद्या वह जो नम्रता सिखाए। उचित अनुचित का विश्लेषण करे और नीति मार्ग पर चलने का साहस प्रदान करे।
ईश्वर को कल्पवृक्ष कहा गया है पर कुछ पाने के लिए निकट जाना और छाया में बैठना पड़ता है।
ईश्वर की सृष्टि को श्रेष्ठ सुन्दर और समुन्नत बनाना ही उसकी आराधना है।