निस्पृहता को उन्होंने अपनी सबसे बड़ी पूँजी माना। वह कहा करते-”ईश्वर विश्वास की सबसे बड़ी कसौटी है निस्पृहता। जो ईश्वर विश्वासी है वह उतना ही निस्पृह होगा।”
जो सचमुच प्रेम करता है उसका हृदय धरती पर साक्षात स्वर्ग है। ईश्वर बसता है क्योंकि ईश्वर प्रेम है।