चमत्कार का तात्पर्य बाजीगरी नहीं, बल्कि लोकहित में कुछ ऐसा कर गुजरना है जो अनुपयोग असाधारण हो। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. एम. चन्नारेड्डी ने अपने दूसरी बार आगमन पर इन्हीं अर्थों में उन्हें चमत्कारी कहा। राज्यपाल महोदय भावुक हो अपने भाषण में कहने लगे “देश के स्वतन्त्रता के बाद लोक जीवन की मानसिकता ऐसी बदली कि स्वयं राष्ट्र पिता को हताश हो कहना पड़ा अब मेरी कौन सुनेगा? सत्ता शासन के मद में भरे अँग्रेजों को सुनाने वाला अपनों को न सुना पाया। ऐसे में गाँव का साधारण ब्राह्मण कहता है कि मैं सुनने योग्य सुनाऊँगा करने योग्य कराऊँगा। कहता ही नहीं करके दिखा रहा हूँ। इसे मैं सबसे बड़ा चमत्कार न मानूँ तो क्या मानूँ। न कुछ से कुछ, कुछ से बहुत कुछ की इनकी यात्रा आश्चर्य नहीं तो क्या है?” महामहिम राज्यपाल के इन शब्दों ने सुनने वालों के मन में चमत्कार की सही परिभाषा लिख दी पर सही माने में चमत्कार तो अब दिखाई देंगे। बहुत कुछ से सब कुछ की यात्रा जो अभी शुरू हुई है।