अपराधी की अन्तरात्मा उसे कचोटती रहती है। यह बन्दीगृह से कम कष्टदायक प्रताड़ना नहीं है।
अविश्वासी होना बुरा है पर अन्ध विश्वासी होना उससे भी बुरा।