सुनकर गदगद हो गया (Kahani)

August 1990

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उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल डॉ एम. चन्नारेड्डी अब आँध्रप्रदेश के मुख्य मंत्री शान्तिकुंज आये हुए थे। यह शुरू के दिनों की बात है। तब वे न केवल सभी को पर्याप्त समय देते थे। बल्कि कभी कभी अतिथियों को स्वयं आश्रम की सारी गतिविधियों का परिचय देते। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।

आश्रम घूमने के बाद भाव विमुग्ध हो माननीय राज्यपाल ने स्टेज से अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा-”यहाँ मैंने अपनी कल्पना से भिन्न देखा, अतएव जो सोच कर आया हूँ, उससे भिन्न बोलूँगा। मैं यहाँ से उस शक्ति को प्रस्फुटित होते देख रहा हूँ, जो गाँधी के सपनों को साकार कर सकती है।” कुछ रुक कर वह भावुक होते हुए बोले-”मैं देख रहा हूँ कि यह कार्य गंगा से लेकर गोदावरी, कृष्णा, कावेरी तक फैसला चला जा रहा है? कभी दक्षिण ने भारत को आचार्य शंकर दिया था, जिन्होंने ठेठ हिमालय तक आकर भारत की साँस्कृतिक एकता स्थापित की। अब इस बार इसे आचार्य श्रीराम शर्मा कर रहे हैं।”

उपस्थित समुदाय यह सुनकर गदगद हो गया।


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