Quotation

August 1990

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नारी के बिना पुरुष की बाल्यावस्था असहाय है। युवावस्था आनन्द रहित और वृद्धावस्था साँत्वना शून्य।

मान का संकल्प और शरीर का पराक्रम यदि किसी काम में पूरी तरह लगा दिया जाए तो सफलता मिल कर रहेगी।

आवश्यकता और विलास में अन्तर अनगढ़ मनुष्य नहीं कर सकता। यह देवदूत का काम है। देवदूत विवेक को कहते है।


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