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August 1990

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संसार का सबसे बड़ा दिवालिया वह है, जिसने उत्साह खो दिया।

धर्म में से दुराग्रह और पाखण्ड को निकाल दो। वह अकेला ही संसार को स्वर्ग बनाने में समर्थ है।

धर्म को संकीर्णता के बाड़े में न बंद करें। उसे व्यवहार में उतरने दें, ताकि आपका और समाज का भला कर सके।

प्रशंसा के भूखे यह जताते फिरते है कि वे योग्यता की दृष्टि से खोखले है।


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