अध्यात्म का उद्देश्य तत्वज्ञान की विवेचना करना भर नहीं, जीवन परिष्कार का व्यावहारिक मार्गदर्शन करना भी है।
सुसंस्कृत परिवार उन निर्झरों जैसे हैं जो अपनी शोभा और सरसता से प्रसन्नता का वातावरण बनाते और हरीतिमा उगाते हैं।
नम्रता अर्थात् उच्चस्तरीय समर्थता। इसमें तनने की क्षमता, जीतने की कला और पराक्रम की पराकाष्ठा सन्निहित है।
लोग रोते हुए जन्मते, शिकायतें करते हुए जीते है और पाप की गठरी लाद कर कलपते हुए मरते है।