वैभव को कमाओ तो पर रोक कर न रखो। वह तुम से भी अधिक किसी अन्य के लिये आवश्यक हो सकता है।
दूसरों की सुँदरता पर न रीझें। अपने अन्तराल में झाँकें और देखें कि सौंदर्य का भण्डार भरा पड़ा लें
जब तक हम ईश्वर की बताई राह पर चलते है वह हमारी सहायता करता है। जब कुमार्ग पर चलते है तो मुसीबतों में फँसा कर झिड़क देता है।
अपना सुधार करो तो संपर्क में आने वाले दूसरे भी सुधर जाएँगे, जो अपने को नहीं सुधार सका उसका दूसरों के प्रति धर्मोपदेशक का अधिकार नहीं बनता।