गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां

पंच तन्मात्राओं की साधनाएँ तथा सिद्धियाँ

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यह बात प्रकट है कि हमारा शरीर एवं समस्त  संचारतन्त्र पंचतत्वों का बना हुआ है। पृथ्वी, जल, वायु  अग्नि और आकाश इन पाँच तत्वों की मात्रा में अन्तर  होने के कारण विविध आकार प्रकार और गुणधर्म की  वस्तुएँ बन जाती हैं।

इन पाँच तत्वों की जो सूक्ष्म शक्तियाँ हैं, इनकी  इन्द्रियजन्य अनुभूति को 'तन्मात्रा' कहते हैं। शरीर में  पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं। यह पाँच तत्वों से बने हुए पदार्थों के  संसर्ग में आने पर जैसा अनुभव करती हैं, उस अनुभव  को 'तन्मात्रा' नाम से पुकारते हैं। शब्द, रूप, रस, गन्ध,  स्पर्श ये पाँच तन्मात्राएँ हैं।


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