गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियां

मन और उसका निग्रह

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मनोनिग्र और मनोज के अभ्यास के लिए योगशास्त्रों में ऐसी कितनी ही साधनाओं का वर्णन है चिनके द्वारा मन की चंचलता, घुडदौड़, विषय लोलुपता और ऐषणा प्रकृति को रोककर उसे ऋतम्भरा बुद्धि के अन्तरात्मा के अधीन किया जा सकता है। इन साधनाओं को मनोमय योग कहते हैं। मनोमय योग के अन्तर्गत १- ध्यान, २-त्राटक, ३- जप, ४- तन्मात्रा साधना यह चार साधन प्रधान रूप से आते हैं। इन चारों का मनोमय कोश की साधना में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।


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