रात को सब कार्यों से निवृत्त होकर जब सोने का समय हो तो सीधे चित्त लेट जाइये। पैर सीधे फैला दीजिए, हाथों को मोड़कर पेट पर रख लीजिए। सिर सीधा रहे। पास में दीपक जल रहा हो तो बुझा दीजिए या मन्द कर दीजिए। नेत्रों को अधखुला रखिए। अनुभव कीजिए कि आपका आज का एक दिन एक जीवन था। अब जबकि एक दिन समाप्त हो रहा है तो एक जीवन की इतिश्री हो रही है। निद्रा एक मृत्यु है। अब इस घड़ी में एक दैनिक जीवन को समाप्त करके मृत्यु की गोद में जा रहा हूँ।
आज के जीवन की आध्यात्मिक दृष्टि से समालोचना कीजिए। प्रातःकाल से लेकर सोते समय तक के कार्यों पर दृष्टिपात कीजिए। मुझ आत्मा के लिए वह कार्य उचित था या अनुचित ? यह उचित था तो जितनी सावधानी एवं शक्ति के साथ उसे करना चाहिए था उसके अनुसार किया या नहीं ? बहुमूल्य समय का कितना भाग उचित रीति से, कितना अनुचित रीति से, कितना निरर्थक रीति से व्यतीत किया ? वह दैनिक जीवन सफल रहा या असफल ? आत्मिक पूँजी में लाभ हुआ या घाटा ? सद्वृतियाँ प्रधान रही या असद्वृत्तियाँ ? इस प्रकार के प्रश्नों के साथ दिनभर के कार्यों का भी निरीक्षण कीजिए।
जितना अनुचित हुआ हो उसके लिए आत्म-देव के सम्मुख पश्चाताप है। जो उचित हुआ हो उसके लिए परमात्मा को धन्यवाद दीजिए और प्रार्थना कीजिए कि आगामी जीवन में, कल के जीवन में, उस दिशा में विशेष रूप से अग्रसर करें। इसके पश्चात् शुभ वर्ण आत्म-ज्योति का ध्यान करते हुए निद्रा देवी की गोद में सुखपूर्वक चले जाइये।