VigyapanSuchana

September 1991

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

आगामी प्रगतिशील जातीय सम्मेलन

निम्न तारीखों में

(1) जाट समाज-3 से 7 अक्टूबर, 91 (2) कुर्मी, पटेल (गुज), पाटिल समाज (महा) -20 से 24 अक्टूबर, 91 (3) कायस्थ समाज-26 से 30 अक्टूबर, 91 (4) प्रजापति समाज 8 से 12 नवम्बर, 91 (5)ठक्कर समुदाय 13 से 17 नवम्बर, 91 (6) ब्राह्मण समाज 18 से 22 नवम्बर, 91 (7) चौरसिया समाज-23 से 26 नवम्बर, 91 (8) भूमिहार ब्राह्मण 27 नवम्बर से 1 दिसम्बर, 91 (9) आदिवासी समुदाय -20 से 24 दिसम्बर, 91 (10) यादव समाज 26 से 30 दिसम्बर, 91 (11) हैहय वंशीय क्षत्रिय समाज 4 से 8 जनवरी, 1992 (12) वैश्य समाज 12 से 16 जनवरी, 92 (13) साहू समाज 17 से 21 जनवरी, 92 (14 ) सोनी समाज 1 ये 5 फरवरी, 92 (15) विश्वकर्मा समाज 13 से 17 फरवरी, 92 (16) क्षत्रिय समाज 19 से 23 फरवरी, 92।

मिला है या अवसर विशेष आने पर उसे पहचानकर जुड़ने का सौभाग्य मिला है, वह निहाल हो गया है। युगसंधि का प्रस्तुत संक्रमण काल कुछ ऐसे ही महान अवसरों-सौभाग्यों को लेकर आया है। रोजमर्रा के कामों को तो सभी अपनी लगन से हमेशा करते रहते हैं, किन्तु ऐसे अवसर विशेषों पर यदि साधनात्मक पुरुषार्थ कर लिया जाय तो उससे प्राप्त दिव्य अनुदान युगों-युगों के लिए धन्य ही नहीं बनाएंगे अपितु साधक का नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में भी लिखवा देंगे। ऐसी विशिष्ट घड़ियाँ कभी हजारों लाखों वर्ष बाद आती हैं। स्वयं महाकाल इस वेला में सुपात्रों में अनुदान बाँटने के लिए तत्पर हुआ है। यों योगाभ्यास, तपश्चर्या, व्रतशीलता, ब्रह्मविद्या आदि के क्षेत्र में गहराई तक उतरने वाले ही कुछ ऋद्धि-सिद्धियों के अनुदान उपलब्ध कर पाते हैं पर कभी कभी ही ऐसा समय आता है जब पर ब्रह्म की सत्ता स्वयं अनुग्रह लुटा कर बहुमूल्य अनुदान उपहार के रूप में नगण्य से पुरुषार्थ के बदले देने की प्रक्रिया पूरी करती है। सन् 2009 तक चलने वाला समय कुछ ऐसा ही विशिष्ट है।

परम पूज्य गुरुदेव की सूक्ष्म व कारण शरीर की सत्ता इन दिनों अध्यात्म के ध्रुव केन्द्र हिमालय से सक्रिय होकर ऐसी दिव्य क्षमताओं का प्रसार-विस्तार कर रही है, जिन्हें ग्रहण-धारण करने वाले असाधारण शक्ति सामर्थ्य ही नहीं उपलब्ध करेंगे संसार का तथा साथ-साथ अपना भी भला करेंगे। हिमालय स्थित ऊर्जा केन्द्र इन दिनों अत्यधिक सक्रिय है। दिव्यचक्षु जिन्हें प्राप्त हैं, वे वहाँ से ज्वालामुखी की तरह उठती, उबलती-उछलती लपटों को देखते हैं व इसे विशिष्टों को विशिष्ट व सामान्यों को उनके स्तर की क्षमताएँ उपलब्ध कराने वाले अनुदानों का निर्झर मानते हैं। परम पूज्य गुरुदेव के जीवन भर के तप ने अगणित व्यक्तियों को अनुदान देकर उन्हें सामान्य से असामान्य बना दिया। प्रत्यक्षतः अनुदान लाखों व्यक्तियों को मिले व वे जिस क्षेत्र में चाहते थे, भौतिक अथवा आध्यात्मिक प्रगति कर सकने में सफल हुए। संधिकाल में वह और भी अधिक परिणाम में करोड़ों तक अनुदान बाँटने हेतु महाकोष की तरह खुला हुआ है, बस स्थूल आँखों से उसे देखा नहीं जा सकता। संपर्क जोड़ने का एक मात्र माध्यम है दैनन्दिन जीवन में गायत्री उपासना में और अधिक प्रखरता का समावेश तथा इस शक्ति साधना वर्ष में अनुदान पाने हेतु अपनी पात्रता को निखारने का प्रयास पुरुषार्थ। इसके लिए युगसाधना के उद्गम स्रोत शाँतिकुँज युगतीर्थ से निरंतर संपर्क बनाए रहना व वहाँ सम्पन्न होने वाले शक्ति साधना सत्रों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना अनिवार्य है। परम पूज्य गुरुदेव की शक्ति का संवहन माता भगवती देवी कर रही है। उनकी साधना की प्रचण्डता से ही प्रतिपल अगणित व्यक्ति अनुदानों से लाभांवित हो रहे हैं।

इस वर्ष चौबीस प्रान्तों में दो सौ चालीस टोलियाँ शक्ति साधना का आलोक लगाने देश के कोने कोने जाएंगे। इस प्रकार अखण्ड दीपक की ऊर्जा का आलोक सारे देश भर व विदेश में बैठे प्रवासी परिजनों तक सतत् पहुँचता रहेगा। इन आयोजनों से जो ऊर्जा विस्तार प्रक्रिया सम्पन्न होगी उसका चमत्कार शीघ्र ही परिजन विराट रूप में देखेंगे। इन आयोजनों के अतिरिक्त उनके लिए जो उपासना पराक्रम महाकाल की सत्ता ने निर्धारित किया है, तत्संबंधी मार्गदर्शन देने हेतु आगामी मास की अखण्ड-ज्योति पत्रिका का अंक “उपासना विशेषाँक” के रूप में प्रकाशित होगा। इसमें अपनी स्थूल सूक्ष्म व कारण शरीर की सत्ता को निखारने व इस विशिष्ट संक्रातिकाल में विशिष्ट साधना


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118