दिव्य अनुदानों हेतु एक महत्वपूर्ण सुयोग

September 1991

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मनुष्य का निज का पुरुषार्थ अपनी जगह महत्वपूर्ण है किन्तु यदि परिस्थितियाँ साथ दें व अनुकूलता मिल सके तो सफलता की प्राप्ति सुनिश्चित सिद्धाँत है कि धरती में उगेगा बीज ही श्रेय भी धरती की उर्वरता को मिलेगा किन्तु वर्षा ऋतु आने पर पौधे जल्दी उगने व बढ़ने लगते हैं, यह तथ्य अपनी जगह सही है। यहाँ वर्षा ऋतु की भूमिका अनुकूल अवसर बनाने का सरंजाम जुटाने की है। फूल अन्यान्य महीनों में भी खिलते हैं किन्तु बसन्त ऋतु में वृक्ष वनस्पतियों की हरीतिमा जिस प्रकार फूल-कोंपलों से लदी देखी जाती है, वैसी किन्हीं अन्य माहों में नहीं।

ऋतुएँ सभी अपनी-अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं किन्तु गर्मी के मौसम में आने वाले आँधी तूफान सारी धरती की सीलन सुखाने व बुहारी लगाने का ही काम करते हैं, यह काम अन्यान्य ऋतुओं में नहीं हो पाता। शीतऋतु की कुछ प्रभाविकता ही इस प्रकार की होती है कि उन दिनों किये गए स्वास्थ्य संवर्धन के प्रयोग निश्चित रूप से सफल होते हैं।

साइकिल चलाने वाले के अपने पुरुषार्थ की भूमिका अपनी जगह है पर यदि हवा का रुख पीछे से हो तो सड़क पर चल रही साइकिल सरपट भागने लगती है। पानी पर रेंग रही नाव पीछे से हवा का सहारा मिलने पर तेज भागने लगती है। पाल वाली नौका तो चलती ही इस माध्यम से है।

पढ़ने वाले हर विद्यार्थी को अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण होने का श्रेय मिलता है किन्तु कुशल अध्यापक का यदि मार्गदर्शन मिल जाय तो विद्यार्थी मेरिट लिस्ट में नाम ले आता है। बाजार में सामान तो बिकता ही रहता है व उत्पादक उस क्रम से अपना लाभ कमाते ही रहते है किन्तु माँग बढ़ने के साथ उत्पादन के बाजार में पहुँचते ही अच्छा मुनाफा मिलने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। यहाँ उत्पादन के साथ जुड़ी हुई अनुकूलता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उपरोक्त सारे प्रसंग इसी तथ्य का प्रतिपादन करते हैं कि वैयक्तिक पुरुषार्थ के साथ साथ यदि परिस्थितियों के प्रभाव, बाह्य अनुकूलताओं के योगदान को भी जोड़ दिया जाय तो अभीष्ट परिणाम सुनिश्चित रूप से मिलने के अवसर बढ़ जाते हैं। प्रतिपाद्य विषय उपासना-साधना पर भी यही तथ्य लागू होता है। साधक का अपना पुरुषार्थ प्रमुख है, उपासनात्मक उपचार उसे ही अपने भाव-जगत में करना है किन्तु वातावरण तथा परिस्थितियों की भी इन उपचारों में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, यह तथ्य नहीं बिसराया जाना चाहिए।

कभी-कभी ऐसे अवसर आते हैं, विलक्षण अनुकूलताएँ परोक्ष जगत में विद्यमान होती है कि उस


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