एक पुजारी के मन्दिर में गणेश और उनके वाहन मूषक की दो प्रतिमाएँ थीं। वजन में दोनों का भार समान था।
वह उन्हें बेचने स्वर्णकार की दुकान पर पहुँचा। उसने उन्हें तोला और समान पाया। मूल्य भी दोनों का समान बताया।
इस पर पुजारी ने आश्चर्य किया और कहा-कहाँ गणेश जैसे महान देवता और कहाँ यह तुच्छ चूहा दोनों का मूल्य बराबर कैसे?
सुनार ने हँसकर कहा गणेश तभी तक देवता थे तब तक उनमें आपकी श्रद्धा थी। उसे गँवाने के बाद तो वह मात्र धातु रह गये। धातु का मूल्य तो बाजार भाव से ही मिल सकता है।