मुंह करके छोटे जल कलश की धार बाँध कर छोड़ना मन में वह भाव रखना चाहिए कि कलश रूपी जीवन में जो जल रूपी विभूतियाँ विद्यमान हैं उन्हें परमेश्वर के निमित्त अर्पण करते हैं। यह जल भाप बन कर उड़! और ओंस बूँद बनकर संसार में शाँति शीतलता उत्पन्न करें।
सूर्य की परिक्रमा अर्घ्य स्थान पर ही खड़े-खड़े एक बार कर ली जाती है। परिक्रमा का अर्थ देव प्रयोजन के लिए कदम बढ़ाना है। संक्षेप में यही है दैनिक साधना का उपक्रम। जप संख्या कितनी हो यह अपनी सुविधा और संकल्प पर निर्भर है। न्यूनतम तीन माला तो होनी ही चाहिए।