प्रतिभा युवावस्था में उपजती है। उसे यदि सही दिशा में नियोजित किया जाए तो कम उम्र में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है। संसार के महत्त्वपूर्ण कार्यों में अधिकांश कार्य युवावस्था में ही संपन्न हुए हैं।
बादशाह सिकंदर, आजम यूनान में 20 वर्ष की अवस्था में सिंहासनारूढ़ हुए और उत्तर भारत तक विजय प्राप्त करके 33 वें वर्ष में मर गए। जूलियस सीजर ने आठ सौ नगर, तीन सौ जातियों और तीस लाख मनुष्यों को विजित किया। वह बड़ा शक्तिशाली वक्ता और राजनीतिक संचालक था। उस समय वह नितांत युवक था। 19 वे वर्ष में वाशिंगटन एडज्यूटैण्ट जनरल हो गए और 21 वें वर्ष अंग्रेज सरकार ने उन्हें फ्रांस में राजदूत नियुक्त कर दिया। 22 वें वर्ष में वह कर्नल बना दिए गए। उन्होंने प्रथम संग्राम में ही जयश्री प्राप्त कर डाली। लैफ्टी नामक व्यक्ति फ्रांस में समस्त सेना के संचालन 20 वे वर्ष में नियुक्त हो गए। सोलोमन ने 20 वर्ष की अवस्था में फ्रांस और जर्मनी पर अधिकार प्राप्त कर लिया। डडकेराय स्थान पर अधिकार प्राप्त करने के समय कांडे महोदय केवल 22 वर्ष के थे। इटली देश में पाइसा गिरजा ने लटकते हुए लैम्प के पेण्डुलम से जब गैलीलियो ने आकर्षणशक्ति का सिद्धांत खोज निकाला, उस समय वह 18 वर्ष के थे। पाॅल इंग्लिश पार्लियामेण्ट में 21 वें वर्ष में मेंबर हो गए थे। 22 वर्ष की अवस्था के पूर्व ही ग्लैडस्टन पार्लियामेण्ट में जा पहुँचे थे।
एलिजाबेथ बैरट ब्राउनिंग 12 वर्ष की अवस्था में ही ग्रीक और लेटिन भाषा की विद्वान हो गई थी। डीकिन्स ने तो इन भाषाओं का ज्ञान 11 वें वर्ष में ही प्राप्त कर लिया था। रॉबर्ट ब्राउनिंग बारहवें वर्ष में अच्छी कविता लिखने लग गए थे। कवि काउली ने 14 वें वर्ष में कव्य की अच्छी पुस्तक लिख डाली थी। लार्ड मैकाले 23 वें वर्ष में प्रविष्ट होने के पूर्व एक प्रख्यात लेखक हो गए थे। प्रख्यात कवि पी.बी. शैली युवावस्था भी पूरा न कर सके, इसके पहले ही प्रसिद्ध हो गए। सेना में नेल्सन ने लेफ्टीनेन्ट का पद 29 वें वर्ष के पहले ही प्राप्त कर लिया था। 22 वर्ष की अवस्था में क्लाइव ने भारत वर्ष में अंग्रेजों का अधिकार जमा दिया था। देश-देश, नगर-नगर और गाँव-गाँव में जिन मनुष्यों ने अद्भुत उन्नति और देदीप्यमान जीवन का परिचय दिया, वह बहुधा 18 वर्ष से 30 वर्ष की अवस्था के मध्य में ही दिया है। भगवान राम एवं कृष्ण ने भी इसी उम्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए। वनवास एवं रावण वध के समय वे युवा ही थे। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने युवावस्था में ही अंग्रेजों से डटकर मुकाबला करते हुए वीरगति प्राप्त की। भगत सिंह, वीर सावरकर, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारी शहीद भी युवक ही थे। महाराणा प्रताप, शिवाजी, स्वामी दयानंद, स्वामी रामतीर्थ, स्वामी विवेकानंद आदि महामानवों ने आपने महत्त्व का परिचय युवावस्था में ही दे डाला। उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि साहसी एवं प्रतिभाशाली अल्प आयु में ही उन्नति कर जाते हैं।