बोझाभरी गाड़ी को मजबूत बैल ढो रहे थे। उसके नीचे एक कुत्ता भी चल रहा था। उसे भ्रम हुआ कि गाड़ी उसी के बलबूते चल रही है। अहंकार से वह इठलाता जा रहा था।
गाड़ीवान ने उस कुत्ते की विभिन्न भावमुद्रा देखी तो उसके भ्रम को ताड़ लिया।
कुत्ते की पीठ पर गाड़ीवान का एक चाबुक पड़ा, वह तिलमिलाकर दूर जा खड़ा हुआ। गाड़ी चलती रही।
भ्रम का नशा उतरा, तो कुत्ते ने समझा कि उसका अहंकार अवास्तविक था।