चढ़ते रहना (कहानी)

February 1990

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पर्वतारोहियों के दल का एक सदस्य लड़खड़ाया। उसने सामने वाली ऊँची चोटियों को देखकर कहा— “इतनी ऊँचाई तक चढ़ सकना, मेरे लिए संभव नहीं।”

साथियों ने उसे नीचे देखने को कहा— "गहरी खाई नीचे की ओर थी। जमीन तो बहुत पीछे काफी निचाई पर निकल गई थी।" पुनर्विचार करके वह आगे बढ़ने को तैयार हो गया कि जब इतना चढ़ लिया गया तो आगे भी चढ़ते रहना क्यों कठिन होना चाहिए।


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