‘द सक्सैज प्रिंसिपल’ पुस्तक के लेखक डेव जोन्सन का कहना है कि प्रकृति का एक शाश्वत नियम है कि शारीरिक श्रम-व्यायाम न करने पर मांसपेशियाँ सूखती और मनुष्य को रुग्ण बनाकर समय से पूर्व ही मृत्यु का शिकार बना देती हैं। मस्तिष्क के ऊपर भी यही मान्यता पूर्णतः लागू होती है। प्रसुप्त मानसिक क्षमताओं, योग्यता और प्रतिभा को न जगाया जा सके तो व्यक्ति को विक्षिप्तता, खीज, निराशा के अतिरिक्त और कुछ हाथ न लगेगा। जिन लोगों ने अपनी प्रसुप्त प्रतिभा को प्रबल पुरुषार्थ के सहारे जगाया है, उनके मस्तिष्क में नवीन एवं सृजनात्मक विचार आते चले गए हैं। यह सब कुछ दैवी सत्ता के प्रति आस्थावान होने की ही परिणति भर है। कोलम्बस ने संसार को नया विचार देने से पूर्व दैवी मान्यताओं से परिपूर्ण धर्मग्रंथ बाइबिल— ईक्षीआह 40:42 का अध्ययन किया और "पृथ्वी गोल है", के प्रभाव को प्रस्तुत कर दिखाया। उनके मतानुसार धर्मग्रंथों को बार-बार पढ़ने, चिंतन-मनन करने, तदनुरूप प्रयासरत बने रहने से प्रसुप्त मानसिक क्षमताओं का विकास होता और जीवन सब प्रकार से सफल सिद्ध होता है।