सचित्र गायत्री-शिक्षा

गृह लक्ष्मी की प्रतिष्ठा

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>
[ 1 ] पुण्य नर्मदा सदृश शुद्ध है नारी का मृदु अन्तर, उसे स्वच्छ करता रहता है कल-करुण का निर्झर,, क्षण दो क्षण को यदि उसमें है कभी मलिनता आती, शुभ्र व्योम में काले धन की छाया सी छा जाती,, किन्तु शीघ्र ही वह स्वाभाविक पवित्रता पाती है । इसीलिए तो युगों-युगों से वह पूजी जाती है ।।

[ 2 ] यह है सत्य कि उस पर पड़ती अवसर की भी छाया, जब कि विवशताओं से घिर वह हो जाती निरुपाया,, पर उनके हटते ही होती वह जैसी की तैसी, समझ नहीं पाते हम प्रभु यह तेरी लीला कैसी,, युग का विष पीकर के जग में अमृत सरसाती है । कल्प वृक्ष के सदृश युगों से वह गौरव पाती है ।।

[ 3 ] लक्ष्मी का अवतार दिव्य यह उसकी पावन गरिमा, शब्दों से तो परे रही है देवी तेरी महिमा,, कहा गया है जहां कहीं नारी पूजी जाती है, वही देवताओं की ममता, मानवता पाती है,, सम्मानित, संतुष्ट नारी है घर को स्वर्ग बनाती । निर्धनता, दुःख, पीड़ा उसके पास नहीं है आती ।।

[ 4 ] नर से बहुत अधिक नारी में सहृदयता होती है, वह निज दुख से नहीं अन्य के दुःख में ही रोती है,, है समाज रचना की केवल वह ही उत्तरदायी, हिंसा, स्वार्थ, अनीति न उसके पास फटकने पाई,, राष्ट्रों का हो सामाजिक नेतृत्व उसी के कर में । कल्पलता छाई देखोगे यही तुम्हारे घर में ।।

[ 5 ] नर पर आश्रित होकर नारी स्वयं पंगु हो जाती, फिर वह अपना गौरव जग में कहो कहां है पाती,, दे पाती है नहीं पुरुष को किसी तरह का साहस, प्राप्त पुरुष को भी न इसी से हो पाता कोई यश इस प्रकार जग का भविष्य भी अन्धकार मय होता । दम्भ, पतन के गहन गर्त में मानव मूर्छित सोता ।।

[ 6 ] नारी जहां कहीं गृह लक्ष्मी, वही स्वर्ग-सा घर है, धन से और धान्य से पूरित वह परिवार रुचिर है,, बाल रूप भगवान वहीं पर आकर मोद मनाते, हरे खेत, श्यामल घन मंगल गीत मनोहर गाते,, नारी को सुविधा, समता, शिक्षा दो उच्च बनाओ । शुद्ध देह का दीप पुण्य-गृह मन्दिर बीच जलाओ ।।
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118