सचित्र गायत्री-शिक्षा

नारी की महानता

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>
[ 1 ] नारी आदि प्रकृति की रानी और परम कल्याणी । उसमें छिपी सत्य शिव सुन्दर की युग-युग की वाणी ।। सारे जग की वह रचयति अखिल विश्व की माता । है समस्त मानव समाज की आदि मूल निर्माता ।। इसीलिए कवि हृदय कर रहा अभिनन्दन उस मां का ! नयी प्रेरणा देगा सबको पदवंदन उस मां का !!

[ 2 ] पिता निमित्त मात्र माता से बालक का तन बनता । उसके ही भावों को लेकर है उसका मन बनता ।। प्रतिभा बुद्धि विचार शक्ति सब मां पर ही अवलंबित । बालक का सम्पूर्ण भविष्यत् है माता पर आश्रित ।। श्रेष्ठा मातायें ही जग में उच्च पुरुष उपजाती ! दिव्य पुरुष की मातायें ही युग-युग पूजी जातीं !

[ 3 ] नारी है वह भूमि जहां पर कुसुम मनोरम खिलते । इसके उपवन से ही है अगणित फल-रसमय मिलते ।। उत्तम भूमि बिना न कभी भी उत्तम कृषि है सम्भव । साधन भूमि किन्तु फल से ही पाता है वह गौरव ।। नारी ऐसी ज्योति विश्व को करती जो आलोकित ! इसके ही अन्तर में सारा अग जग है प्रतिबिंबित !!

[ 4 ] जहां कहीं भी नारी पाती है अपमान उपेक्षा । जहां कहीं भी पुरुष दिखाता अहंभाव या स्वेच्छा ।। पतन नहीं होता समाज की मर्यादा खोती है । वहीं बैठकर दुखित मनुजता पछताती रोती है ।। पूजी जाती जहां कहीं भी विश्व-प्रसूता नारी ! बन जाती भू वहीं पुण्य कुंकुम केसर की क्यारी !!

[ 5 ] चली जा रही नारी लेकर के मसाल निज करमे । उसके पीछे भीड़ पुरुष की चलती प्रभा लहर में ।। नारी का उड़ता अंचल यदि श्रद्धा से नर थामे । शान्ति, सौम्य, समता का हो साम्राज्य बसाबसुधा में ।। तिमिर मयि रजनी को भी यह अरुण प्रात करती है ! भू को स्वर्ग बना देती दुख दर्द को हरती है !!
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118