नेतृत्त्व हेतु वक्तृता सीखने का सरल अभ्यास

September 1986

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युग के अनुरूप प्रगतिशीलता समझने और समझाने के लिए यह आवश्यक है कि प्रज्ञा पुत्रों में से प्रत्येक मुखर हो। उसे समझने और समझाने की शैली से अवगत और अभ्यस्त होना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि युग शिल्पियों को इस अभ्यास के लिए बार-बार अवसर मिलता रहे।

कठिनाई यह है कि समारोह बार-बार आयोजित करना समय साध्य भी है और व्यय साध्य भी। फिर जो, निखरे हुए वक्ता होते हैं, उन्हीं को समारोहों में बोलने का अवसर दिया जाता है। जनता को प्रभावित करने की समस्या भी सामने रहती है, इसलिए सर्वत्र कुशल वक्ताओं की ही माँग रहती है। नौसिखियों को अवसर देने में लड़खड़ाता हुआ भाषण उपस्थित लोगों को अरुचिकर लगता है।

इस कठिनाई को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय स्लाइड प्रोजेक्टर है। उसमें एक-एक घंटा में पूरे हो सकने वाले दो प्रवचनों का नया समावेश किया गया है। प्रत्येक प्रवचन में 40-40 स्लाइडें हैं। इनकी व्याख्या करने के लिए मार्ग दर्शिका पुस्तक भी छपी हुई है। इन लेखों को पढ़कर स्लाइडों की व्याख्या सरलतापूर्वक हो सकती है। चित्रों का सहारा बीच-बीच में मिलते रहने से एक घंटा भाषण देना कुछ भी कठिन नहीं पड़ता।

इसमें किसी सहायक की आवश्यकता नहीं पड़ती। अकेला एक व्यक्ति ही सारा सरंजाम जुटा सकता है। स्लाइड प्रोजेक्टर हलका यंत्र है, उसे थैले में डालकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। गली मुहल्ले में स्वयं ही जानकारी तथा देखने का निमंत्रण दिया जा सकता है। मुफ्त का सिनेमा देखने के लिए नर, नारी, बाल-वृद्ध शिक्षित, अशिक्षित जिनके पास भी समय होता है, वह उत्साहपूर्वक एकत्रित हो जाते हैं, और अगर बैठने को जगह हो तो आसानी से पचास सौ आदमी एकत्रित हो जाते हैं। एक मध्यवर्ती सभा सम्मेलन सहज ही जुट जाता है। इन्हीं लोगों के बीच स्लाइडों की व्याख्या वाला प्रवचन आसानी से आरम्भ किया जा सकता है। एक घर में दो दिन यह क्रम चलाया जा सकता है। दोनों के बीच संगति है। एक पूर्वार्ध है तो दूसरा उत्तरार्ध। इसलिए उपस्थिति कम नहीं होती वरन् परस्पर चर्चायें और भी अधिक बढ़ जाती हैं। यही क्रम गली-गली, मुहल्ले-मुहल्ले चलाया जा सकता है। वक्ता को नित्य प्रवचन का अवसर मिलता रह सकता है। इस आधार पर उसकी भाषण शक्ति का दिन-दिन निखार हो सकता है।

यह यंत्र बिजली के प्रकाश से चलता है। जहाँ बिजली का प्रबंध नहीं है, वहाँ 12 बोल्ट की बिजली से इसे चलाया जा सकता है। चार्जर साथ में रखने से बैटरी चार्ज भी होती रहती है। इस प्रकार इस यंत्र को वहाँ भी ले जाया जा सकता है, जहाँ बिजली नहीं है, पर इसके लिए बैटरी और चार्जर सैट का अतिरिक्त प्रबंध करना पड़ेगा जो एक हजार के लगभग में बन जाता है। इस उपकरण को एक छोटा विद्युत उत्पादक यंत्र समझा जा सकता है। इसे आवश्यकता पड़ने पर लाउडस्पीकर में भी प्रयुक्त किया जा सकता है।

स्लाइड प्रोजेक्टर मशीन की लागत ट्रांस फार्मर बल्ब व पैकिंग बाक्स सहित तीन सौ आठ रुपये है और दो दिन-रात चलने वाली 80 स्लाइडों की कीमत अस्सी रुपया (प्रति स्लाइड एक रुपया) कुल मिलाकर यह उपकरण लगभग 390) में बन जाता है बिना बिजली वाले स्थानों के लिए एक हजार का विद्युत उत्पादक सरंजाम अलग से खरीदना पड़ता है।

यह आधार ऐसा है जिसके सहारे एक व्यक्ति प्रचारक के रूप में घर-घर मुहल्ले-मुहल्ले में जाकर नवयुग की विचार धारा से निरन्तर अवगत करता रह सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसके सहारे भाषण शक्ति का सहज ही निखार हो सकता है और कोई भी व्यक्ति उस समय के अभ्यास से अच्छा वक्ता बन सकता है। व्यक्तिगत रूप से इस साधन को खरीदना संभव न हो तो शाखा उसे खरीदने और पारी-पारी से अपने सभी सदस्यों को वक्तृता सीखने का अवसर प्रदान करती रह सकती है। चित्र परिचय की व्याख्यान पुस्तिका साथ में मुफ्त मिलती है।


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