[दाँतों से किसी ने पूछा- तुम हर चीज को काटते हो, पर अपने शिकंजे में रहने वाली जीभ को क्यों नहीं काटते....?
दाँत ने कहा- हम उससे डरते हैं कि कोई कड़ुई बातें कह देगी तो किसी से हम बत्तीसों को तुड़वा देगी।]
महापुरुषों की विशिष्टताओं से अपरिचित रहना- बालकपन का जीवन बिताना ही है।
आँखें सिर्फ सफलता देखती हैं पर विवेक यह पूछता है कि इसके लिए किन परिस्थितियों में कितना प्रयत्न किया गया।
ऊँचे कहलाने वाले जब अन्याय पर उतरते हैं तो छोटे वर्ग भी उनके विरुद्ध क्रान्ति के रूप में उबल पड़ते हैं।