उदास क्यों हो बहन? - अकेली बैठी मधुमक्खी को देखकर चींटी ने पूछा। इस पर मधुमक्खी बोली- “क्या बताऊँ बहन, कितने परिश्रम से मधु एकत्रित किया था, यह अभागा मनुष्य आया और उसे थोड़ी देर में छला तोड़ ले गया।”
अनाज का कण आगे धकेलती हुई चींटी बोली- बहन! अब चिन्ता करने से क्या लाभ? अब तक तो तुम बहुत-सा मधु पुनः एकत्र कर लेतीं।