हजरत मूसा उस दिन घने जंगल से होकर गुजर रहे थे कि सामने से एक भयानक सर्प फुसकारता हुआ आ गया।
मूसा घबरा गये। घिग्गी बँध गई। न बढ़ते बन पड़ा न हटते। मौत उन्हें सामने खड़ी दीखने लगी।
आसमान से आवाज आई “मुसीबत देखकर डरो मत। हिम्मत करो और जो हाथ में है उसी के सहारे लड़ पड़ो”।
नया प्रकाश मिला। मूसा सर्प से गुथ गये और उसका थूथन पकड़ लिया।” छोड़ूंगा नहीं, तोड़ कर रख दूँगा।”
सर्प सहम गया, और उसने एक सोने का डंडा मूसा के हाथ उपहार की तरह थमा दिया। साथ ही कहा- “जो हिम्मत करते हैं उन्हें मुसीबत से ही छुटकारा नहीं मिलता, उपहार भी हाथ लगता है।”