Quotation

September 1986

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

सुन्दर चेहरा आकर्षक भर होता है। पर सुन्दर चरित्र की प्रामाणिकता तो अकाट्य होती है।

‘सेंचुरीज’ पुस्तक में अब तक ही खरी उतरी भविष्यवाणियों में से अनेक ऐसी हैं, जिनकी लेखक के समय में कोई संभावना नहीं थी और न उस प्रकार की कोई कल्पना ही की जा सकती थी।

उन दिनों “ब्रिटेन” नाम का कोई देश भूगोल में नहीं था। स्काटलैण्ड को मिलाकर वह बाद में बना है, पर उसकी स्थापना से पूर्व ही भविष्यवक्ता ने उसके उदय की बात लिखी है। उसका साम्राज्य विश्वभर में छा जाने का उल्लेख है, साथ ही यह भी लिखा है कि सन् 1984 में उसका सारा विस्तार सिमट कर मुट्ठी भर का रहा जायेगा। यह कथन अक्षरशः सही सिद्ध हो चुका है।

फ्राँसीसी राजक्राँति 1792 में अपने चरम उबाल पर थी, पर 200 वर्ष पूर्व ऐसी कल्पना कर सकना किसी व्यवहार बुद्धि वाले या अनुमानों का सहारा लेने वाले के लिए संभव नहीं।

टर्की का पड़ौसी देशों पर आक्रमण ईसाई समुदाय का पददलन और बाद में उस लूट खसोट का बिखराव “सेंचुरीज” में लिखा है। वह होकर भी रहा, किन्तु लिखे जाने के समय इस प्रकार की कोई कल्पना तक न थी। अमेरिका बाद में बना और विकसित हुआ, पर पुस्तक में अमेरिका का भी उल्लेख है। उसके विकसित देश के रूप में उभर आने का प्रसंग भी वर्णित है।

वर्तमान शताब्दी में दो विश्व युद्ध हो चुके हैं। अब से 600 वर्ष पूर्व कोई इनकी इस रूप में परिणति होने की कल्पना तक नहीं कर सकता था, पर भवितव्यता होकर रही। ऐसी ही अनेक भविष्यवाणियों ने विश्व के अनास्थावादी और बुद्धिजीवी कहे जाने वाले लोगों को भी इस बात के लिए विवश किया है कि उसे ध्यानपूर्वक पढ़ें और उसमें दिये हुए संकेतों के साथ अपनी परिस्थितियों की संगति बिठायें। कहा जाता है कि फ्राँस के वर्तमान शासक मित्तरां के लिए यह पुस्तक अत्यधिक दिलचस्पी का विषय बनी हुई है।

पुस्तक की गंभीरता और लोकप्रियता को देखते हुए अमेरिकी दूरदर्शन में इसका सार-संक्षेप सरल ढंग से प्रस्तुत भी किया था। इतने पर भी उसमें सन्निहित रहस्यवाद पर से पर्दा पूरी तरह नहीं उठा है।

भविष्यवाणियों में से जिनकी अवधि बीत चुकी, उनकी चर्चा करना अनावश्यक होगा। उनके संबंध में इतना ही कहा जा सकता है कि जिसकी 800 भविष्यवाणियाँ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सही सिद्ध हो चुकी हैं, ऐसा दूसरा उदाहरण खोजा जा सकना कठिन है।

पुस्तक के एक प्रतिपादन के अनुसार “जुलाई 1999 में एक अति भयंकर युद्ध होगा। इसे चीनी आक्रमणकारी आरम्भ करेंगे, पर वे जीत नहीं सकेंगे।”

“अमेरिका और चीन की दोस्ती स्थायी नहीं रहेगी। वह बिदक जायेगा और रूप अमेरिका के बीच ऐसी दोस्ती होगी, जो निर्णायक वातावरण बना सके।”

“ईसाई और मुसलमान धर्म में संव्याप्त कट्टरता को आघात लगेगी। वे सम्प्रदायों की अपेक्षा बुद्धिवादी प्रतिपादनों को अपनाने लगेंगे। धर्म परिवर्तन का उत्साह ठंडा पड़ जायेगा।”

“इक्कीसवीं सदी में भारत की महती भूमिका रहेगी। वह विश्व की अनेक समस्याओं के समाधान में योगदान देगा।”

नास्ट्रॉडामस ने भारतवासियों के उत्कर्ष और उनके द्वारा विश्व भर में निभाई जाने वाली भूमिका को स्पष्ट किन्तु साँकेतिक भाषा में लिखा है तीन समुद्रों की सीमा जिस देश से मिलती हैं, जिसका नामकरण सागर शब्द के साथ मिलकर हुआ है। (हिन्द महासागर), जहाँ गुरुवार को पूज्य दिन माना जाता है, उस देश के लोग विश्वशाँति की दिशा में असाधारण पुरुषार्थ करेंगे। यह सभी बातें भारत पर लागू होती हैं। शुक्र मुसलमानों का, रविवार ईसाइयों का, शनिवार मिश्रियों का और गुरुवार हिन्दू समुदाय का ही पूज्य दिवस है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118