जो प्रत्यक्ष रूप से दीख पड़ता है, वही सब कुछ नहीं है। इसके अतिरिक्त भी अपने इर्द-गिर्द ऐसा बहुत कुछ भरा हुआ है, जिसकी जानकारी सूक्ष्म निरीक्षण, परीक्षण एवं अन्वेषण से ही जानी जा सकती है। इस विधा को यदि विकसित न किया जाय तो हमारा ज्ञान पुरातन मान्यताओं और किंवदंतियों तक ही सीमित रह जायगा।
खुली आँखों से सौर मण्डल के पाँच ग्रह हमें दीखते हैं। बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि। सूर्य इनका केन्द्र है। पृथ्वी पर हम रहते हैं, इसलिए उसकी उतनी ही भूमि देख पाते हैं जो आँखों या दूरबीनों की पकड़ में आती है। चन्द्रमा पूर्ण ग्रह नहीं है, पृथ्वी का उपग्रह मात्र है। इसकी जानकारी बहुत पहले से ही उपलब्ध हो चुकी है।
अब पिछली शताब्दी में और इस शताब्दी में तीन और नये ग्रह खोज निकाले गये हैं- (1) यूरेनस (2) नेपच्यून (3) प्लूटो। इस प्रकार सौर मण्डल में तीन नये सदस्य और शामिल हुए। इन सभी के अपने-अपने चन्द्रमा हैं। इसकी जानकारी खोजी उपग्रह ‘वायजर -दो’ ने दी है। अब समूचे सौर मण्डल में 60 चन्द्रमा हो गये हैं। कोई अपने चन्द्रमा से छोटे, कोई बड़े।
यूरेनस पृथ्वी से बहुत दूर है। यह दूरी सूर्य और पृथ्वी की दूरी की अपेक्षा 29 गुनी अधिक है। यूरेनस का भार पृथ्वी से 24 गुना अधिक है। वह 84 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करता है, इसलिए, 42 वर्ष सर्दी और 42 वर्ष गर्मी रहती है। वह अपनी धुरी पर तेजी से चक्कर लगाता है इसलिए उसके दिन-रात हमारी अपेक्षा 25 गुने अधिक बड़े होते हैं। यूरेनस की चाल अन्य ग्रहों की तुलना में उल्टी समझी जाती है। वहाँ पश्चिम में सूर्य उदय होता है और पूर्व में अस्त। उसके ऊपर 20 किलोमीटर ऊँचा हाइड्रोजन और मीथेन का मिश्रित वायुमंडल है। साथ ही उसके 25 चन्द्रमा भी हैं, जो बारी-बारी से निकलते हैं और कभी-कभी एक साथ भी।
उल्काओं में न केवल धातुएँ, चट्टान और रसायन मिले हैं, वरन् ऐसे जीवकोष भी पाये गये हैं, जो जीवन को स्वतन्त्र रूप से अस्तित्व में लाने के आधार हो सकते हैं। पृथ्वी पर जीवन समुद्र से एक कोषीय जीवों के रूप में विकसित हुआ। इस मान्यता को यह उल्काएँ काटती हैं, जिनमें समग्र जीवन के विकसित जीवाणु पाये गये हैं। इन्हें शरीरधारी कैसे बताया जा सकता है यही पेचीदा प्रश्न है।
यह भी कहा जाता है कि धूमकेतु जब किसी ग्रह तारक के समीप पहुँचते हैं तो वे भी जीवाणुओं और विषाणुओं की बौछार फेंकते हैं। उनमें जीवन का अस्तित्व पाया गया है। यह सुविधा पाकर कहीं अपनी सत्ता का स्वतन्त्र परिचय भी दे सकता है ओर प्राणियों की उत्पत्ति कर सकता है।