भगवान के दर्शन (kahani)

November 1986

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एक स्त्री को सपने में भगवान के दर्शन हुआ करते थे। पीछे वह बन्द हो गये। स्त्री ने नारद जी के आगमन पर कहा- “भगवान से पूछकर आना कि वे अब दर्शन क्यों नहीं देते।

स्त्री कर्कश स्वभाव की थी सब से लड़ती झगड़ती थी। चटोरी थी और पति को बेईमानी से कमाने की शिक्षा देती थी, ताकि बन-ठन कर रह सके। यह पता नारदजी ने लगा लिया। बहुत दिन बाद वे लौटे तो कहा- भगवान जी तुम से नाराज हो गये हैं। उन्हीं के बच्चों से तुम कलह करती हो। पति के द्वारा उन्हें ठगाती हो। तुम्हारे मस्तिष्क में तो नर्क की गंदगी भरी रहती है। ऐसी दशा में वे क्यों आये? और कैसे सपने में दर्शन दें?

स्त्री ने जाना कि भगवान अकारण मारे-मारे नहीं फिरते जिनका जीवन उदार होता है, उसी से संपर्क साधते हैं।


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