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November 1986

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स्वर्ण महल जितनी सम्पदा और समुद्र खाई जैसी सुरक्षा व्यवस्था बनाने वाला रावण जिस काल के गाल में चला गया, उससे और किसका बचाव हो सकता है।

संसार में तीन सम्मान सबसे बड़े हैं- सन्त, सुधारक और शहीद।

राजनीति का सीधा अर्थ शासन व्यवस्था है, जिसमें सुरक्षा और सुव्यवस्था दोनों ही आती हैं। यह तो सदा से थी और सदा रहेगी। पर उनके साथ क्षेत्रवाद, भाषावाद, आर्थिक विषमता, आपाधापी जैसे तत्व मिल जाने से वोटरों को बहकाकर चुनाव जीतने जैसी अवाँछनीयतायें घुस पड़ने से ही राजनीति बदनाम हुई है। उसका स्थान एकता, समता और व्यापकता, सहकारिता ग्रहण कर सके तो समझना चाहिए कि राजनीति शब्द का शुद्धिकरण हो गया और वह सुव्यवस्था के रूप में विकसित हो गई।

अगले दिनों साम्प्रदायिकता और गुटबन्दी के दिन लदेंगे। विज्ञान को अध्यात्म का पूरक और अध्यात्म को विज्ञान का मार्ग दर्शन बन कर रहना होगा। इसी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनायें सन्निहित हैं।


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