मानवी काया में विलक्षणताओं के केन्द्र

November 1986

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ज्ञानेन्द्रियाँ यों अपने-अपने काम प्रत्येक केन्द्रों में करती दीख पड़ती हैं। पर वास्तविकता यह है कि इन्द्रियों के ज्ञान-तन्तु मस्तिष्क के भीतरी भाग में विभिन्न केन्द्रों के साथ जुड़े होते हैं। दृश्य को देखती तो आँख ही हैं; पर उसकी पूर्ण परिसंगति मिलाने और अपनी निज की प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में यह मस्तिष्क का अदृश्य केन्द्र ही महत्वपूर्ण निर्धारण करता है। यदि मस्तिष्क गड़बड़ा जाय, तो आँख-कान आदि के देखे सुने हुए का सही निष्कर्ष न निकल सकेगा। यहाँ तक कि कर्मेन्द्रियों से ठीक प्रकार काम भी न लिया जा सकेगा। शराबी के पैर लड़खड़ाते और हाथ काँपते देखे गये हैं। कुछ कहना चाहता है और कुछ बोल बैठता है। अपना आपा गड़बड़ा लेता है। इसका कारण शराब का वह नशा है, जिसने मस्तिष्क के उस भाग को अस्त-व्यस्त कर दिया, जो इन्द्रियों के मूल में अवस्थित रहकर सुने देखें का स्वरूप एवं दायित्व निश्चित करता है। यह जानकारी शरीर-शास्त्र की उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी जानते हैं।

मस्तिष्क सहित शरीर के हर अवयव का यह स्वभाव है कि यदि उससे काम लिया जाता रहे, तो वह सक्रिय रहता है और निष्क्रिय पड़ा रहने पर अशक्त, निर्बल हो जाता है। मानवी सत्ता के साथ पूर्वकाल में जो विशेषताएँ जुड़ी हुई थीं, वे अब लुप्त हो गईं और उनके स्थान पर नई उभर आयीं। इसका कारण अभ्यास का घटना-बढ़ना ही है। यह परिणति बहुधा पीढ़ियों तक चलती है।

ज्ञानेन्द्रियों के मस्तिष्कीय आधार केन्द्र प्रायः सामान्य जीवन में एक सीमा तक ही काम आते हैं। किन्तु पाया गया है कि उनमें इसके अतिरिक्त भी क्षमता के बड़े भंडार विद्यमान हैं, जो आमतौर से दैनिक जीवन में आते हैं। इससे आगे वाली रहस्यमयी परतों में अतीन्द्रिय क्षमता रहती है। यह एक अवयव का काम दूसरे से भी चला लेती है। सर्प के कान नहीं होते; पर उसकी त्वचा ऐसी संवेदनशील होती है कि 50 मीटर पर हुए किसी हलके खटके को भी वह पहचान लेती है। ऐसे अनेक जीव हैं, जिनके शरीर में कम इन्द्रियाँ पायी जाती हैं; पर वे उसकी आवश्यकता दूसरी से निकाल लेते हैं। आँख पर पट्टी बांधकर कई व्यक्ति पुस्तकें पढ़ देते हैं या आंख वालों की तरह बिना आँख वाले होने पर भी अनुमान के आधार पर अपने सब काम करते रहते हैं।

इस प्रकार की अतीन्द्रिय क्षमताओं का मूलभूत आधार मानवी मस्तिष्क में मौजूद है। यदि उसे तद्नुरूप अभ्यासों द्वारा विकसित किया जा सके, तो वे केन्द्र इस प्रकार काम करने लगते हैं मानो वे कोई चमत्कारी रहस्यवादी सिद्ध पुरुष हों। वस्तुतः एकाग्रता की अनेकों ध्यान-धारणाएँ जिन प्रयोजनों को लेकर की जाती हैं, उनमें एक महत्वपूर्ण प्रयोजन अतीन्द्रिय क्षमताओं का जागरण भी है। वे यदि जग पड़ें, तो सामान्य मनुष्य में अप्रत्याशित क्षमताएँ जागृत कर देती हैं। उसे देखकर दर्शकों को कौतूहल चकित रह जाना पड़ता है।

अभ्यास से किसी भी क्षेत्र में प्रगति हो सकती है; पर कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है कि किन्हीं अविज्ञात कारणों से किन्हीं में कोई विशिष्ट शक्ति अनायास ही उभर आती है। खेत में बोने पर तो जौ-चावल आदि उपजते हैं, फसल देते ही हैं। पर ऐसा भी देखा गया है कि जंगली जौ और जंगली चावल भी खादरों और जंगलों में उगे खड़े होते हैं। समुद्र के मध्य जिन टापुओं पर मनुष्य की पहुँच नहीं हुई है, वहाँ भी विशालकाय और फलदार वृक्ष उगे वृक्ष उगे खड़े हैं। इनका बीज संभवतः चिड़ियों की बीट द्वारा वहाँ पहुँचा होगा। जो हो सुनसान टापुओं में भी वृक्ष वनस्पति और जंगली किस्म के अन्न, शाक पाये गये हैं इसी प्रकार बिना किसी प्रकार की साधना किये कुछ व्यक्तियों में अतीन्द्रिय क्षमताएँ अनायास ही विकसित हुई देखी गयी हैं।

इजराइल के तेल अबीब कस्बे में जन्मे यूरीगैलर में ऐसी चुम्बकीय विलक्षणता थी कि उसकी आँखें ही एक सशक्त चुम्बक का काम करती थीं। बचपन से ही उसमें ऐसी विशेषताएँ प्रकट होने लगी थीं। एक बार वह चोट खाकर अस्पताल में भर्ती हुआ, तो दीवार पर लगी क्लाक से ही उसने खिलवाड़ शुरू कर दी। सुईयों को वह दृष्टि मात्र से आगे-पीछे कर देता। समय का घंटा आगे पीछे कर देता और फिर उन्हें जहाँ-का-तहाँ ला देता। उसका विचित्र खेल था। यह अपनी चारपाई पर पड़ा-पड़ा ही कर देता था। अस्पताल के मरीज और स्टॉफ के कर्मचारी इस विलक्षणता को दिखाने उसके पास बार-बार आग्रह करने आते।

एक बार वह एक दावत में गया। उसके सामने मेज पर कई प्लेटें और खाद्य सामग्री रखी गईं। बिना हाथ का सहारा लगाये प्लेटें और वस्तुएँ उसके पास खिसके कर आती रहीं और जिन्हें वह नहीं चाहता था, वे दूर हटती रहीं। भोज में सम्मिलित आगंतुकों ने बहुत देर तक यह बे पैसे का तमाशा देखा। जिन्हें इसमें किसी चालाकी का शक था, उन्होंने उसे दूसरी मेज पर दूसरे बर्तनों में दूसरी वस्तुएँ परोसवा कर परीक्षा ली। पर उसने बिना चिढ़े घंटों तक लोगों की इच्छानुसार प्रदर्शन किया। वह एक बार भी फेल नहीं हुआ।

बड़े होने पर उसने कई बड़े प्रदर्शन विशाल जनसमूह के सामने जांच-पड़ताल करने वाले वैज्ञानिकों की उपस्थिति में किये। इसने इजराइल की भरी सड़कों पर आँखों पर पट्टी बँधवाकर साइकिल दौड़ाई थी। आँखों पर पट्टी विशेषज्ञों ने बाँधी थी जिससे किधर से भी दीख न सके, इसलिए पूरी तरह सील कर दी गई थी। एक दूसरे प्रदर्शन में उसने मेज पर रखी 4 औंस तक की विभिन्न वस्तुओं को दृष्टि मात्र से मोड़-मरोड़ दिया था। उन वस्तुओं की पहले भी और बाद में भी जाँच-पड़ताल की गई कि वे वस्तुएँ किसी अन्य शक्ति से मोड़ा-मरोड़ी नहीं जातीं। पर छल फरेब का कहीं कोई कारण नहीं देखा गया।

अमेरिका के एक अन्य प्रदर्शन में उसने इतनी भारी वस्तुओं को एक जगह-से दूसरी जगह पहुँचाकर दिखाया, जिन्हें उठाने के लिए कई मजदूरों की आवश्यकता थी। एक स्थान पर रखी मूर्ति को उसने हवा में उड़ाकर अपने कंधे पर बैठने के लिए विवश कर दिया।

पूछने पर वह सीधे शब्दों में जन्मजात प्रतिभा कहता था। परीक्षण वैज्ञानिक इसे चुम्बकीय विद्युत शक्ति कहते थे। यह शक्ति तभी काम करती थी, जब गैलर उसका प्रयोग करने के लिए अपनी इच्छा शक्ति को एकत्रित करके प्रयोग में लगाता। सामान्य समय में उसकी स्थिति सामान्य मनुष्यों जैसी साधारण ही रहती थी।

न्यूजीलैण्ड के एक गड़रिये में यह शक्ति थी कि अपने या पराये झुण्ड की जिन भेड़ों पर वह हाथ फेर देता वे उसी के साथ चल पड़तीं और मालिकों द्वारा खींचने पर भी वापस न लौटतीं। गड़रिया ही उलटा हाथ फिरा कर उन्हें अपनी पकड़ से मुक्त करता, तब वे वापस लौटतीं।

तलाश करने पर इस प्रकार की विलक्षण क्षमताएँ अनेकों व्यक्तियों में अपने-अपने ढंग की पायी जा सकती हैं। विधिवत् प्रयत्न करने पर तो कोई भी व्यक्ति अतीन्द्रिय क्षमताओं को विकसित करने एवं प्रयुक्त करने में समर्थ हो सकता है।


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