बड़प्पन बोझ पर नहीं, व्यक्तित्व पर निर्भर

November 1986

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प्रदर्शन के आधार पर बड़ा बनने की महत्वाकाँक्षा ऐसी है जो मनुष्य को उपहासास्पद ही बनाती है।

बड़प्पन मनुष्य की योग्यता एवं सत्प्रवृत्ति पर निर्भर है। शालीन और परोपकारी हर जगह सम्मान पाते हैं, किन्तु अपना साँसारिक वैभव बढ़ा लेने भर से मनुष्य न तो अपने आप में प्रसन्न रहता है और न दूसरों की दृष्टि में ही आदरणीय बनता है।

शरीर से मोटे भारी और लम्बे मनुष्य देखने भर में सर्व साधारण की तुलना में आश्चर्यजनक प्रतीत होते हैं किन्तु उन्हें अतिशय धनवानों की तरह आन्तरिक खिन्नता में ही दिन बिताने पड़ते हैं। जिनका स्तर औसत नागरिक जैसा है, वे ही सबके साथ हिल मिल सकते और प्रसन्न रहने की सुख शान्ति की स्थिति में बने रहते हैं।

कोवी आइलैण्ड में जन्मी जौली इरन का वजन 21 वर्ष की आयु में बढ़ना शुरू हुआ और वह कुछ ही दिनों में 227 किलोग्राम भारी हो गई। वह कुछ कर नहीं सकती थी पर स्वयं हँसती और दूसरों को हँसाती रहती थी।

इलिनाय अमेरिका का राबर्ट अर्ल ह्यूज सन् 1926 में पैदा हुआ। जन्म के समय ही वह 5.22 किलोग्राम भारी था। क्रमशः उसका वजन बढ़ता ही गया और फरवरी 1952 में वह 485 किलोग्राम भारी हो गया। वह ज्यादा दूर चल फिर नहीं सकता था। कोई सवारी उसके उपयुक्त नहीं बैठती थी। इसलिए उसे ट्रक के साथ एक ट्राली में रखकर ले जाया जाता था। उसी में उसे बैठे-बैठे सोना पड़ता था।

10 जुलाई 1954 को वह बीमार पड़ा। ब्रेमन कम्यूनिटी अस्पताल में उसे ले जाया गया। पर वहाँ उसके लायक न कोई पलंग था और न कोई दरवाजा इतना चौड़ा था जिसमें होकर उसे भीतर ले जाया जा सके। अन्ततः ट्रक के ट्रेलर में ही उसका इलाज हुआ और वहीं उसकी मृत्यु हो गई। कब्रिस्तान में उसे उतारने के लिए क्रेन बुलवाई गई और एक विशेष साइज का ताबूत उसके लिए बनवाया गया।

उत्तरी कैरियाना में सन् 1853 में जन्मा जानी ऐली असाधारण मोटा और भारी था। उसका वजन 524 किलोग्राम था। उसे खड़ा होने के लिए किसी का सहारा लेना पड़ता था। सन् 1887 में एक दिन वह अपनी छत पर खड़ा था कि वह वजन न सह सकी और नीचे गिर पड़ी। जब तक लोग छत और उसके शरीर को संभालने दौड़े तब तक उसका प्राण निकल गया।

ओहियो (अमेरिका) में जन्मी सेलेस्टा गेयर 252 किलोग्राम की थी। उसकी भूख भी गजब की थी। 10 किलो भोजन वह एक दिन में कर लेती थी। डाक्टरों के कहने पर उसने खुराक तो कम की पर वजन न घटा।


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