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November 1986

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तथागत बोध वृक्ष को साष्टांग दण्डवत् कर रहे थे। शिष्यों ने आश्चर्य से पूछा- आप तो पूर्ण हैं। फिर इस तुच्छ वृक्ष को इतना सम्मान क्यों देते हैं? बुद्ध ने कहा- आप सबको यह बोध कराने के लिए कि जो नमता है सो बड़ा होता है। ऐसा न हो कि आप लोग अहंकारी बनकर नमन की परम्परा भुला दें।


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