कलियुग में प्राण अन्नगत है। अतएव देहात्मबुद्धि-अहंबुद्धि मिटती नहीं। इसलिए कलियुग के लिए भक्तियोग ही उपयुक्त है। भक्तिपथ सीधा पथ है। हृदय से व्याकुल होकर उनके नाम का जप करो,
उनसे प्रार्थना करो। भगवान मिलेंगे, इसमें कोई सन्देह नहीं।
रामकृष्ण परमहंस