Quotation

February 1999

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

नये संसार का निर्माण सर्वमान की अपेक्षा किसी भिन्न प्रकार के साधनों और तत्वों से ही होगा। इस समय बाहरी चीजों का ही ज्यादा महत्व है, जबकि नये युग में आन्तरिक शक्तियों की ही प्रधानता होगी। बहिरंग पर अधिक ध्यान न देकर अब हमें अपनी आत्मिक शक्तियों के विकास में लगना चाहिए, ताकि नये युग में उसके अनुकूल स्वयं को प्रस्तुत कर सकें, उसके उपयुक्त बन सकें।

श्री अरविन्द


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles