पचास स्थानों पर संपन्न साधना प्रशिक्षण की अवधि में दो पुस्तिकाओं का वितरण किया गया है, जिनमें इस समग्र महासाधना अभियान की जानकारी है। आम आदमी इसमें कैसे जुड़ सकता है एवं ढाई दिवसीय आयोजनों में क्या कुछ कहा जाना है- यह सब इनमें विस्तार से दिया गया है। अभी इन्हें हिन्दी व गुजराती में प्रकाशित किया गया है। बाद में इनके सभी भाषाओं-अंग्रेजी सहित प्रमुख भारतीय व आंचलिक तथा विदेशी भाषाओं में भी प्रकाशन हो, इसके लिए उत्साहित प्रेरित किया जा रहा है। क्षेत्रीय परिजन इस कार्य को हाथ में ले इन संदर्शिकाओं को जन-जन तक पहुँचाएँ, इससे बड़ा पुण्य कर्म कोई और नहीं हो सकता। ये पुस्तिकाएँ 16-16 पृष्ठ की हैं-नाम हैं-
(1) सबके लिए सद्बुद्धि, सबके लिए उज्ज्वल भविष्य हेतु एक महान आध्यात्मिक सामूहिक प्रयोग।
(2) प्रखर साधना वर्ष-अखण्ड जप प्रधान कार्यक्रमों की रूपरेखा एवं महापूर्णाहुति का प्रथम चरण आरंभ होगा। 24 दीपों की आहुति से आरंभ हुआ यह क्रम ब्लॉकों या कुछ कालोनियों के समुच्चय-टाउनशिप में 240 दीपों के यज्ञ से बढ़ता हुआ जिले या शहर स्तर पर चौबीस सौ दीपों के यज्ञ में बदलता चला जाएगा। छोटे प्रांतों में एक स्थान पर, बड़े प्रांतों में दो या तीन स्थानों पर 24000 दीपों के यज्ञ में आहुतियों के बाद महापूर्णाहुति संभवतः देवोत्थान एकादशी सन् 2000 से आरंभ होकर गीता जयंती 2000 तक चलेगी एवं यह शान्तिकुञ्ज हरिद्वार की कुंभ नगरी के प्रायः पचास मील की परिधि में सम्पन्न होगी। प्रत्येक प्रान्त की भागीदारी हेतु तिथियाँ निश्चित होंगी। विराट महायज्ञ में आहुतियाँ दे साधक लौटते जाएँगे।
अगले बैंच के साधक आते जाएँगे। विस्तार से परिजन इस महापूर्णाहुति की जानकारी समय-समय पर पाते रहेंगे।