समालोचना

September 1942

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‘नाम-माहात्म्य’ (वाणी-अंक) श्री वृन्दावन भजनाश्रम से निकलने वाले भगवन्नाम-प्रचारक मासिक पत्र का यह पाँचवें वर्ष का विशेषाँक हैं। पत्र का वार्षिक मूल्य दो रु. है, इस अंक का मूल्य डेढ़ रु. है। इस पत्र के स्थायी सम्पादक श्री दानबिहारी-लाल शर्मा ‘शरण’ एवं श्री रामदास शास्त्री, सा. रत्न हैं। इस अंक के संपादक श्रीब्रजभूषण गनेरी वाला ‘चन्द’ हैं। इस विशेषाँक में सैकड़ों प्राचीन पूज्य महात्माओं की वाणियाँ उनकी जीवन झाँकी एवं उनके चित्र हैं। वर्तमान महात्माओं की वाणियों का भी इसमें समावेश है। गीता, पुराण, उपनिषद् आदि से वाणियों का सुन्दर संकलन हुआ है। वास्तव में यह अंक धार्मिक एवं साहित्यिक दोनों दृष्टियों से अपूर्व है। धार्मिक जनता को तो अवश्य ही इसे अपनाना चाहिये। ऐसे महंगाई के युग में इतना सुन्दर एवं उपादेय अंक निकालने के लिये सम्पादक एवं प्रकाशक बधाई के पात्र हैं। तिरंगे टाइटिल द्वारा आभूषित इस प्रायः दो सौ पृष्ठ के विशेषाँक का हम अत्यधिक प्रचार चाहते हैं।


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