मनुष्य को देवता बनाने वाली पुस्तकें

September 1942

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जो ज्ञान युगों के प्रयत्न से मिलता है-उसे हम अनायास ही आपके सन्मुख उपस्थित करते हैं।

यह पुस्तकें बाजारू किताबें नहीं हैं। उनकी एक-एक पंक्ति के पीछे गहरा अनुभव और अनुसंधान है। विनम्र शब्दों में हमारा दावा है कि इतना खोजपूर्ण अलभ्य साहित्य इतने स्वल्प मूल्य में अन्यत्र कहीं भी नहीं मिल सकता।

1. मैं क्या हूँ?- आत्मा का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करने के कुछ सरल साधन। मू. 1 रुपया

2. सूर्य चिकित्सा विज्ञान- सूर्य की प्रचंड रोगनाशक शक्ति द्वारा वैज्ञानिक ढंग से कठिन रोगों की चिकित्सा। मूल्य 1 रुपया

3. प्राणचिकित्सा विज्ञान- मनुष्य के अंदर गजब की विद्युत शक्ति है। उसके द्वारा समस्त रोगों का इलाज। विदेशों में इस विधि से बड़े-बड़े अस्पताल चल रहे हैं। मूल्य 1 रुपया

4. परकाया प्रवेश- मैस्मरेजम के ढंग पर आत्मशक्ति को दूसरे के शरीर में प्रविष्ट करके उसे इच्छानुसार चलाने की साधना। मूल्य 1 रुपया

5. स्वस्थ और सुन्दर बनने की अद्भुत विद्या- अध्यात्मिक सरल साधनों द्वारा तन्दुरुस्त और खूबसूरत बनने के अद्भुत उपाय। मूल्य 1 रुपया

6. मानवीय विद्युत के चमत्कार- शरीर की बिजली से कैसे-कैसे आश्चर्यजनक कार्य होते हैं इसका विस्तृत वैज्ञानिक विवरण। मूल्य 1 रुपया

7. स्वर योग से दिव्य ज्ञान- स्वरोदय विद्या द्वारा गुप्त और भविष्य की बातों को जान लेने की रहस्यपूर्ण साधना। मूल्य 1 रुपया

8. भोग में योग- शीघ्र पतन, स्वप्न दोष, प्रमेह, नपुँसकता आदि विकारों को योग साधनों से दूर करने और मनचाही स्तम्भन शक्ति प्राप्त करने की गुप्त विधियाँ। मूल्य 1 रुपया

9. बुद्धि बढ़ाने के उपाय- जिन लोगों को मस्तिष्क से काम करना पड़ता है या जो स्मरण शक्ति बढ़ाकर बुद्धिमान बनना चाहते हैं उनके लिए यह कल्प वृक्ष के समान है। मूल्य 1 रुपया

10. धनवान बनने के गुप्त रहस्य- बड़े-बड़े कुबेरों द्वारा कार्य रूप में आई हुई ऐसी विधियाँ हैं जो आपको भी धनवान बना सकती हैं। मूल्य 1 रुपया

11. पुत्र या पुत्री उत्पन्न करने की विधि- मन चाही संतान प्राप्त करने के सारे रहस्य इस पुस्तक में खोल कर रख दिये हैं। मूल्य 1 रुपया

12. वशीकरण की सच्ची सिद्धि- दूसरों को अपने वश में करने के लिये बिलकुल सच्चे और हजारों वार आजमाये हुए प्रयोगों का वर्णन। मूल्य 1 रुपया

13. मरने के बाद हमारा क्या होता है?- मृत्यु के उपरान्त प्राप्त होने वाले स्वर्ग, नरक, पुनर्जन्म, प्रेत योनि, मृतकों का साक्षात्कार, उनकी सहायता प्राप्त करना आदि बातों पर अनुभवपूर्ण वर्णन। मूल्य 1 रुपया

14. जीव जन्तुओं की बोली समझना- मूक जीव जन्तुओं की भी स्वतंत्र भाषा है और वे भी हमारी ही तरह बातचीत करते हैं। उसे समझने का महत्वपूर्ण विधान। मूल्य 1 रुपया

नोट- चार या अधिक पुस्तकें लेने पर चौथाई कमीशन दिया जाता है। हर पुस्तक पर एक आना के हिसाब से पोस्टेज लगता है, जो खरीदार को देना होता है। इस प्रकार कमीशन काटकर और पोस्टेज जोड़ कर 1 रुपया प्रति पुस्तक के हिसाब से मूल्य भेजना चाहिए। चार से कम पुस्तकें मंगाने वाले सात आना प्रति के हिसाब से भेजें।

पता- मैनेजर ‘अखण्ड ज्योति’, मथुरा।

नायमात्मा बलहीनेन लभ्यः

यह आत्मा निर्बलों को प्राप्त नहीं होता!

इस संसार में दुर्बलता सब से बड़ा महा घोर पातक है

-इसलिए-

कमजोर सर्वत्र नारकीय यंत्रणाएं भोगते देखे जाते हैं।

वर्ष 3 सम्पादक-आचार्य श्रीराम शर्मा अंक 09


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