राष्ट्रीय महासभा के प्रारंभिक काल के प्रमुख कर्णधार सर सुरेन्द्रनाथ बनर्जी बहुत ही सुलझे हुए विचारों के नेता थे। जब राष्ट्र निर्माण की ठोस योजना पर कभी गम्भीर विचार विमर्श होता, तो वे सदैव यह कहा करते थे। “सुदृढ़ स्वास्थ्य ही वह नींव है, जिसके ऊपर सुदृढ़ राष्ट्र खड़ा हो सकता है।” उनका विश्वास था कि सब से अधिक रचनात्मक कार्य यह है कि देश वासियों को उत्तम स्वास्थ्य बनाने की शिक्षा दी जाय। कसरत, व्यायाम, लाठी, तलवार आदि के द्वारा शारीरिक शक्तियों को विकसित किया जाय। क्योंकि उत्तम शरीर में उत्तम मस्तिष्क का और उत्तम मस्तिष्क में उत्तम आत्मा का निवास हो सकता है। इन्हीं उत्तमताओं के आधार पर किसी महान राष्ट्र का निर्माण हो सकता है। शारीरिक उन्नति के बिना कोई भी उन्नति आगे नहीं बढ़ सकती।
वृद्धाबद्ध में सर बनर्जी के सारे बाल पक गये थे, दाढ़ी सूत की तरह सफेद हो गई थी, फिर भी वे हजार काम छोड़ कर कसरत नित्य करते। अपने व्यक्तित्व से जिस किसी को भी उसने प्रभावित किया, उस पर यह छाप अवश्य डाली कि शरीर को बलवान बनने के लिए स्वास्थ्य के नियमों का बड़ी सावधानी से पालन करें।