कुटेव का त्याग

September 1942

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(ऋषिकल्प दादा भाई नौरोजी)

भोजन के अनन्तर मुझे थोड़ी शराब पीने की पुरानी आदत थी, एक दिन भोजन से उठने पर मैंने देखा कि घर में शराब नहीं है। इसलिए दुकान से शराब लेने चला। पर दुकान पर पहुँचते ही मुझे बड़ी लज्जा मालूम हुई कि एक निंद्य पदार्थ की आदत का इतना गुलाम हो गया हूँ। उसी समय मैंने शराब न पीने की प्रतिज्ञा की और फिर कभी उसे छुआ तक नहीं।


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