पीड़ितों की सेवा

September 1942

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एक बार पूना में प्लेग का भयंकर प्रकोप हुआ। लोग घर वालों तक को छोड़-छोड़ कर भाग गये। उस समय दयार्द्र हृदय महात्मा गोपाल कृष्ण गोखले ने रात-दिन रोगियों की सेवा एवं सुश्रूषा की। आपकी अपूर्व सेवा देखकर तत्कालीन लाट ने कहा था-”प्लेग के दिनों में जहाँ बाप बेटा तक एक दूसरे को बीमारी की दशा में छोड़ कर भाग जाते हैं, ऐसे वक्त में गोखले ने विकट साहस का परिचय दिया है। छोटे-छोटे मकानों में घुसकर प्लेग पीड़ियों के पास पहुँच कर उनकी सेवा-सुश्रूषा करना अपूर्व साहसी व्यक्ति का ही काम है।”

आशुतोष मुकर्जी -


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