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September 1942

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-मेरा मजहब हक परस्ती (स्वत्व पूजा) है। मेरी मिल्लत कौम परस्ती है। मेरी इबादत खलक परस्ती है। मेरी अदालत, मेरा अन्तःकरण है। मेरी जायदाद, मेरी कलम है। मेरा मन्दिर मेरा दिल है। मेरी उमंगे सदा जवान है।

-पंजाब केशरी लाला लाजपतराय।

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यथार्थ विजय आत्मा पर विजय पाना है। और उसके बिना विजयी मनुष्य केवल दूसरे प्रकार का दास ही है।

-सेन्टपाल।

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जिस क्षण कोई मनुष्य दासत्व ग्रहण करता है, उसी क्षण उसकी आधी योग्यता नष्ट हो जाती है।

-मेक्स्विनी।


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